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:: الرياح وحدها تربطني بالمتاهة - الشاعر البلغاري بلامن ألكسندورف "أبو عرب" ::

   
 

التاريخ : 07/05/2014

الكاتب : خيري حمدان   عدد القراءات : 1101

 


 

 

 

       يصعب عليّ تقديم الشاعر البلغاري بلامن ألكسندر، يصعب عليّ التحدّث عنه في صفة الغائب بعد أن وافاه الأجل قبل عام، فاجأني خبر وفاته بعد أن بلغ بالكاد الخمسين من العمر.

ولد بلامن في المدينة الأثرية بلوفديف عام 1963، وبدأ حياته الواعية بالتجوال والرحيل في كافّة أنحاء البلاد. لا يعرف مستقرًا، يكتب ويبحث عن الحقائق التاريخية والإنسانية والفلسفية التائهة. يتنقل من حضن لآخر، ومن زوجة لأخرى حتّى استقرّ به المطاف قبطانًا في البحرية، وجد حريته المنشودة هناك بين الدلافين، لكنّ ذبحة صدرية عاجلته ولم تمهله كثيرًا ليكتب المزيد من الشعر.

 

بلامن ألكسندورف بزيّ القبطان

في ثمانينيات القرن الماضي، عرض عليّ الذهاب إلى مدينة فارنا الساحلية وتبعد عن العاصمة صوفيا قرابة خمسمئة كيلومتر، قلت له بأنّ القطار يفي بالغرض وسنصل إلى هناك خلال ساعات، قال بأنّ الذكرى والصداقة تُخطُّ على الطرق. بدأنا رحلتنا باستخدام طريقة "STOP" الرائجة في تلك الأوقات. أخذنا نشير لأيّة مركبة متحركة لنقلنا إلى نقطة أخرى في الطريق إلى البحر. ركبنا شاحنات وعربات سريعة وبطيئة، ركبنا عربة يجرّها حمار، جعنا ولم نجد محلا في إحدى المقاطع المهجورة من الرحلة يبيعنا ما نسدّ به الرمق، لكنّنا وجدنا مخبزًا قدّم لنا الجبن والخبز. أخيرًا وصلنا ضالتنا بعد ثلاثة أيام من السفر، وكما أراد، خططت وإيّاه يوميات إنسانية لا تنسى. أذكر بأنّني، وقبل بدء الرحلة، أهديته كوفية فلسطينية لم ينزعها عن رقبته طوال عقدين من الزمن، وفي طريق العودة، سألني ما اللقب العربي الذي يليق به، أجبته "أبو عرب" وبقي يحمل هذا اللقلب جنبًا إلى جنب مع لقب جونسون نسبة للشاعر النيوزلندي لويس جونسون حتى وفاته.

 

صورة تذكارية تجمع الشاعر بلامن ألكسندورف بالشاعر الروسي الكبير يفغيني إيفتوشنكو

 

أصدر بلامن العديد من الدواوين وحاز على جوائز أدبية وطنية وشارك في عشرات المهرجانات الشعرية البلغارية والدولية.  

***

 

بيت

رأيتُ قبرك

وأدركت – لا جحيمَ،

شبيهاً بطموحنا القديم.

ويداي يومًا فيه غمستهما 

وغرفت لأغسل عينيّ.

 

فيه عشقت النساء لمنتصف الليل،

ومعًا تنشّقنا الشروق،

رأيت الساريات والصلبان، لكني

تيقّنت بأنّها، رُفعت في السماء جسرًا.

 

تمسّكت بالحبال محمومًا،

تربطني الرياحُ وحدها بالمتاهة.

ولم ترشّ وجهي بالرمل

كي أعرف النهاية المرفوضة.

 

يستحمّ الأطفال كلّ صيف، حيث

تتشابك جزيئات القدر معكِ..

ورأيتُ البحرَ قبرك أو منزلا

هناك حيث تبدأ الحياة

أو تبحث عن ساكنها الجديد

المجموعة الشعرية "عودة النجوم" (1995).  

 

*

 

Дом

Видях твоя гроб.
И разбрах – няма пъкъл.

На мечтата ни стара приличаше.
С шепи някога в него съм бъркал
и съм гребвал да мия очите си.

В него любех жените среднощни
и заедно вдишвахме изгрева.
Мачти – кръстове виждах, но после
прозрях – мост в небето са вдигали.

И въжетата стисках неистово,
само с вятъра свързан в безпътица.
Но не пръст по лицето ми пръскаше,
че да зная за края не исках.

Всяко лято децата се плискат, където
молекули съдба с теб преплитат…
И видях… Твой гроб или дом е МОРЕТО -
там животът започва.
...Или търси последна обител.



Пламен Александров
стихосбирка "Звездите се завръщат"

 

***

ما بعد النهاية

ألاحقك منذ وقت بعيد

حتى نهاية المنحدر

لأخطفك بعنف

من فضاءاتك.

 

حين ألاحقك،

كلّهم يذكّروني هنا

بأنّني أركض خلف فراشة

كَسَرْتُ أجنحتها

لكنّي ما زلتُ ألاحقك

وقد أكون قد أخفيتُ

في جيوبِ السماء

شِراعَيْن شمسيَّين

من سحابة عذراء

فوق خيوطِ أشعةٍ رقيقة

سأفردُها بعناية

عندها لاشكّ في عودة

أجنحتك ثانية.

 

وسألاحقك مجددًا

في طيرانك الحرّ

حتى وإن خطوت

لما بعد المنحدر.

 المجموعة الشعرية "عودة النجوم" (1995).  

*

След края

Отдавна те преследвам
пред края на скалата.
Да те отнема с ярост
от твоето пространство...

Когато те преследвам,
тук всичко ми напомня,
че гоня пеперуда,
от мен обезкрилена...
Но още те преследвам,
а може би съм скътал
в небесните джобове
две слънчеви платна
от недокоснат облак.
Върху лъчите тънки
ще ги разпъна точно
И сигурно крилата
отново ще ти върна....

И пак ще те преследвам
в свободния ти полет.
Дори да съм пристъпил
след края на скалата.


Пламен Александров
Стихосбирка „Звездите се завръщат” 1995 г.

***

سأعرف طعم الماء

سأكتشف لون الهواء الهلامي

وعندها، في زاوية الحكمة الأبدية،

سأشرب الحرية جرعات من الذرات،

 

السماء من فوقي ستصبح متاحة،

سأبحر نحوك عبر حليب غائم

سأرمي بالحقد الكامن في الشتاء المقبل

لعلّه بدلا منّي يكافح من أجل البقاء.

 

ستُهزمُ السمعةُ المهلهلةُ التافهةُ

الكلماتُ وحدُها لا تقبل الترويض

لا خوفَ لا أملَ، والعملات متبادلة

لا املك شيئًا، ولا شيء يمتلكني.

 

لكن، إذا تمكّن المتعبون من تنويم الآلهة

سأصطادكم بالنور.

وستتعلمون من طعم مياهي

بأنّني حرٌ تسلّقتُ إلى كبد السماء.   

*

 

ЩЕ ПОЗНАЯ ВКУСА НА ВОДАТА.

Ще открия цвета на прозрачния въздух.
И тогава, в ъгъла на вечната мъдрост
Свободата ще пия на глътки от атоми.

Над очите небето ще е достижимо –
през облачно мляко към деня ще отплавам.
Ще захвърля омразата в предстоящата зима –
вместо мен да се бори за оцеляване.

Ще се скапе ненужната дрипава слава.
Само думите са неопитомени...
Няма страх и надежда, а монети разменни.
Нищо не притежавам, и не ме притежават.

Но ако уморени заспят боговете – 
със светлина ще ви улуча.
Във вкуса на водата си ще научите,
че Свободен изкатерих небето.

 

***

بانتظار الدلافين

أتواجد طوال الوقت تحت الماء،

لا زمنَ للأرض من تحتي

أسطوانة الأوكسجين تتنفس الصدى

بتسارع

ومع الأمواج كما يتوقعونني حميميّاً

كالعادة.

 

هنا في الأسفل في حلم البحر

وعلى أجنحة الشفانين السوداء

تمتزج الألوان في ظلمة المياه فوقي

وأنا في طريقي إلى القاعِ.

 

أقرع الأجراسَ لقناديل البحر

أنادي الدلافين – أذكى من الوقتِ،

لعلها في الصباح الغائم توقظني

قبل أن أغرق في غيبوبة عميقة.

المجموعة الشعرية: "خبز للورثة" 1999.

*

 

Чакам делфините

Аз непрекъснато съм под водата.
И земята над мен е неупотребима.
Аквалангът диша учестено ръждата.
И с вълните съм придирчиво интимен.

Там отдолу в съня на морето
на крилата на черните скатове
в мрак се сливат над мен цветовете,
че към дъното сам се запратих.

На медузи камбаните удрям.
Делфините викам – по-умни от времето.
В утрото мътно дано ме събудят,
преди да потъна в делириум тременс.



Пламен Александров
Стихосбирка „Хляб за наследници” 1999 г.

 

***

 

مونولوج القبطان

وحيدًا على حافة الجسر محاطًا بالضباب،

وحده نسيم الجنوب يرشدني الطريق

أهتدي للوجهة بغمزات الطيور

والسفينة اعشوشب هيكلها

 

لا يذكرون من أين أبحروا

لاجئون /مثلي تقريبًا/.

يعشقون المغامرة والعبث

مع النيران الملتهبة تحت الماء

تاركين من خلفهم موانئ حوامل.

 

لا جديد سوى تعدادُ السنين

لطاقم الملاحين في قوقعتي العتيقة

ملأوا الفضاءات النحاسية

وما أن استنفذوني

حتى انفجر تمرّدهم - ذبحة صدرية.

 

ومازلت أرفض السلطة البرية

أبلغ حريتي في مياه البحر الشاسعة

أسبح في لعنة الطوائف الجنسية

معناه "شجرة بلا جذرٍ– مرساةٌ مرفوعة".

المجموعة الشعرية "سارق الجُزُرْ" 2012   

 

*

 

Монолог на капитана

Сам на мостика, обсаден от мъгла,
само полъхът южен ме ориентира.
Улучвам курса на птичи сигнали.
А обрасъл е корпусът с раковини.

Те не помнят откъде са заплавали.
Емигранти / почти като мене/.
В авантюрата влюбени от подводните пламъци,
оставят след себе си пристанища бременни.

Вече само годините се зачисляват
в плавсъстава на моята стара черупка.
Препълниха кубрика. И щом ме претоварят –
техният бунт в инфаркт ще избухне.

Но все не приемам сухоземната власт.
В открито море Свободата достигам.
Преплувам проклятия на родови касти...
... Че „дървото без корен” е котва. Но вдигната.


Пламен Александров
Стихосбирка „Крадец на острови” 2012г.
 

***

 

 
   
 

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